शैलपुत्री पूजा की विस्तृत विधि
चैत्र नवरात्रि 2025 का पहला दिन, जो 30 मार्च को है, माँ शैलपुत्री को समर्पित है। शैलपुत्री, जिसका अर्थ है ‘पहाड़ की बेटी’, देवी दुर्गा की प्रथम रूपा है और माँ पार्वती की अवतार भी माना जाता है। इस दिन के लिए सुबह के शुरुआती समय में शैलपुत्री पूजा करने से पूरे नववर्ष में देवी का अनुग्रह बना रहता है।
प्रमुख मुहूरत:
- 5:22 एएम – 6:48 एएम
- 8:26 एएम – 10:22 एएम
- 12:19 पीएम – 1:07 पीएम
इन समयों में घटेस्थापना (घट स्थापित करना) और मुख्य पूजा करनी चाहिए। प्रातिदिन तिथि 29 मार्च शाम 4:28 पीएम से शुरू होकर 30 मार्च दोपहर 12:50 पीएम तक चलती है।
**पूजा तैयारी**
- रात को जल्दी सोएँ और सुबह उठते ही स्नान करें।
- लाल या नारंगी रंग का वस्त्र पहनें—यह दिन के शुभ रंग हैं।
- पूजा स्थल को साफ‑सुथरा रखें, शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र को ऊँचे मंच पर रखें।
- ताजे फूल, आम के पत्ते, लाल चादी से अलंकृत करें।
**संकल्प एवं कळश**
- तांबे या पीतल की कळश में शुद्ध जल भरें, ऊपर से पत्ता और नारियल रखें।
- घी की दीया जलाकर संकल्प लेना: "मैं शैलपुत्री देवी की आराधना पूर्ण भक्ति के साथ करूँगा/करूँगी।"
**मंत्रोच्चार एवं अर्घ्य**
- शैलपुत्री मंत्र: "ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः" को तीन बार पढ़ें।
- फूल, कुंकुम, हल्दी, चंदन का प्रयोग करके अर्पण करें।
- धूप, अगरबत्ती और कपूर से आरती निकालें।
**भोग एवं प्रसाद**
- दूध, घी, शक्कर, सफेद मिठाइयाँ, केले और मौसमी फल रखें।
- भोग को प्रथम बार देवी को अर्पित करें, फिर परिवार में वितरित करें।
**कन्या पूजन**
यदि घर में छोटी लड़की (कन्या कमारी) है तो उसे देवी का रूप मानकर सम्मानित करें। उसके लिए भोजन, उपहार और शुभकामनाएँ दें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
**पूजा समाप्ति**
- शुद्ध हृदय से प्रार्थना करें और क्षमा माँगें।
- नवरात्रि दुर्गा स्तुति का पाठ करें।
- प्रसाद को पड़ोसी-परिवार में बाँटें।

उपवास, शुभ रंग और शैलपुत्री के लाभ
पहले दिन उपवास अनिवार्य माना जाता है। यह शारीरिक एवं मानसिक शुद्धिकरण का साधन है। अधिकांश भक्त फल, दूध, दही, घी और शाकाहारी साधु भोजन ही ग्रहण करते हैं। हल्के सादी भोजन से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है और मन शांत रहता है।
**शुभ रंग – लाल और नारंगी**
- लाल रंग शक्ति, जोश और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।
- नारंगी आध्यात्मिक उन्नति, भक्तिभाव और सुख‑शांति दर्शाता है।
- इस रंग के वस्त्र, फूल और दीया इस्तेमाल करने से देवी की कृपा आसानी से आती है।
**शैलपुत्री के मंत्रों और पूजा के प्रभाव**
- रुकावटों का निवारण – जीवन में आने वाले कठिनाइयों का अंत।
- मन की शांति – तनाव, चिंता तथा नकारात्मक विचारों से मुक्ति।
- धन‑सम्पदा का संचार – व्यापार, नौकरी या पढ़ाई में सफलता।
- शारीरिक एवं आध्यात्मिक शक्ति का विकास – लक्ष्य प्राप्ति की दृढ़ता।
समय‑समय पर शैलपुत्री का जप करने से घर में सुख‑समृद्धि बनी रहती है, तथा पूरे नववर्ष में देवी दुर्गा का आशीर्वाद मिलता रहता है। इस प्रकार, पहला दिन की पूजा अनुष्ठानिक रूप से ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत विकास के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।