जब टिना दाबी ने 22 साल की उम्र में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2015 में एयर-1 हासिल किया, तो सिर्फ एक रैंक नहीं, बल्कि एक पूरी पीढ़ी के लिए एक नया मानक तैयार कर दिया। आज भी लाखों उम्मीदवार उसकी तैयारी की रणनीति को अपनाने की कोशिश करते हैं — और वो बस एक शेड्यूल नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है। उसकी सफलता का राज़? दिल्ली के एक छोटे से कमरे में शुरू हुई एक अटूट लगन, जो अब देशभर में UPSC उम्मीदवारों के लिए मार्गदर्शक बन गई है।
प्रारंभिक तैयारी: कक्षा 10 के बाद से शुरू हुआ रास्ता
टिना दाबी ने अपनी UPSC तैयारी कक्षा 10 के बाद शुरू की — ये बात कई लोगों को आश्चर्यचकित करती है, क्योंकि ज्यादातर उम्मीदवार डिग्री के बाद ही शुरू करते हैं। लेकिन उनकी रणनीति में ये एक बड़ा फायदा था। उन्होंने NCERT की किताबों से शुरुआत की, फिर धीरे-धीरे मानक पाठ्यपुस्तकों पर जाना। रोज़ का द हिंदू पढ़ना उनकी आदत बन गया — न सिर्फ खबरों के लिए, बल्कि संपादकीय विश्लेषण और सरकारी नीतियों को समझने के लिए। उन्होंने अपने नोट्स में हर एडिटोरियल के मुख्य बिंदु लिखे, जो बाद में रिवीजन के लिए एक जादू की छड़ी बन गए।
दिन का विस्तृत शेड्यूल: छह घंटे से अधिक नहीं, लेकिन बेहद फोकस्ड
कई लोग सोचते हैं कि टिना दाबी रोज़ 12-14 घंटे पढ़ती होंगी। असल में ऐसा नहीं था। उनकी रोज़ाना रूटीन केवल 7 घंटे तक फोकस्ड स्टडी पर आधारित थी — लेकिन उसमें इतनी बुद्धिमत्ता थी कि असर गुना हो गया।
- 3:00 PM - 5:00 PM: MCQs और CSAT प्रैक्टिस — एक दिन में 20-25 प्रश्न, अक्सर आरिहंत या TMH की किताबों से।
- 6:00 PM - 7:00 PM: योजना पत्रिका और सरकारी रिपोर्ट्स का अध्ययन — ये उनकी निबंध और मेन्स उत्तरों की गुणवत्ता का आधार बने।
- 8:00 PM - 9:00 PM: छोटे उत्तर लिखना — कम से कम दो उत्तर रोज़, बिना बाहरी दबाव के।
- 9:00 PM - 11:00 PM: मुख्य विषयों की समीक्षा — राजनीति विज्ञान के लिए अपने प्रोफेसर के नोट्स (मैम के नोट्स) को दोहराना।
दोपहर के बाद 1 घंटे की आराम की नींद और रात को 11 बजे से बर्बर अर्ध-अनुशासित समय — ये उनकी सफलता का गुप्त रहस्य था। थकान को नज़रअंदाज़ नहीं किया गया।
प्रीलिम्स के लिए अनिवार्य तकनीक: 10 दिन का रिवीजन नियम
टिना दाबी का एक नियम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा: “किसी भी अध्याय को पूरा करने के बाद, उसे 10 दिन के अंदर दोबारा देख लो। नहीं तो भूल जाओगे।” उन्होंने प्रीलिम्स के लिए 10 साल के पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों को कम से कम 3-4 बार हल किया। विजन आईएएस और इंसाइट्स के PYQ डाइजेस्ट का इस्तेमाल उन्होंने बहुत ज्यादा किया।
एक हफ्ते में एक पूरा दिन सिर्फ रिवीजन के लिए रखा गया — उस दिन किसी नया टॉपिक नहीं पढ़ा जाता था। उनके अनुसार, प्रीलिम्स में सफलता का राज़ ज्ञान नहीं, बल्कि याददाश्त की ठोसता है। उन्होंने अपने आखिरी दो महीने सिर्फ रिवीजन पर लगा दिए — कोई नया बुक, कोई नया वीडियो नहीं।
मेन्स के लिए उत्तर लिखने की कला: एक निबंध हफ्ते में
मेन्स की तैयारी में टिना दाबी ने उत्तर लिखने को एक अभ्यास बना दिया। उनका नियम: “हर दिन कम से कम दो उत्तर लिखो — चाहे वो बहुत छोटे हों।” उन्होंने लिखने की गति, संरचना और भाषा को धीरे-धीरे परफेक्ट किया।
निबंध के लिए उन्होंने प्रीलिम्स के बाद से हर हफ्ते एक निबंध लिखने का नियम बनाया। उनके निबंध आधारित थे — वर्तमान घटनाओं से उदाहरण, सरकारी योजनाओं के आंकड़ों से समृद्ध, और तर्कपूर्ण बिंदुओं से भरे। उन्होंने कहा: “निबंध बहुत अधिक अंक देता है। इसे नज़रअंदाज़ करना बर्बादी है।”
CSAT और वैकल्पिक विषय: न्यूनतम सामग्री, अधिकतम प्रभाव
अधिकांश उम्मीदवार CSAT को हल्के में लेते हैं। टिना ने इसे बिल्कुल विपरीत तरीके से लिया। रोज़ाना कंप्रिहेंशन प्रैक्टिस, प्रतिशत और औसत के लिए शॉर्टकट्स सीखना, और लॉजिकल रीजनिंग के लिए 50+ मॉक टेस्ट्स — ये सब उनके लिए अनिवार्य था।
वैकल्पिक विषय राजनीति विज्ञान के लिए उन्होंने किसी भी बड़ी किताब का इस्तेमाल नहीं किया। उनका स्रोत था — मैम के नोट्स। उन्होंने उन नोट्स को 4-5 बार याद किया, और केवल तभी किताबें खोलीं जब कोई बात स्पष्ट न हो। इस तरह उन्होंने ज्ञान को गहरा किया, न कि फैलाया।
इंटरव्यू: डीएएफ की शुद्धता ही रैंक बदलती है
टिना दाबी ने इंटरव्यू को बस एक रूटीन नहीं, बल्कि एक अंतिम निर्णय माना। उन्होंने डीएएफ (Detailed Application Form) को बहुत ध्यान से भरा — हर जवाब, हर अनुभव, हर विषय जिसका जिक्र किया गया, उसके लिए तैयारी की। उन्होंने कहा: “इंटरव्यू आपकी रैंक तय करता है। अगर आप अपने डीएएफ में लिखा कुछ नहीं जानते, तो वो आपके खिलाफ है।”
उनके इंटरव्यू में एक बात बहुत ज्यादा चर्चा में रही — जब पूछा गया कि उन्होंने क्या पढ़ा, तो उन्होंने एक छोटी सी बात कही: “मैंने अपने नोट्स को याद किया। बाकी सब उसी पर आधारित था।” ये वही सादगी थी जिसने उन्हें एयर-1 बनाया।
क्यों ये रणनीति आज भी काम करती है?
आज के समय में जब हर कोई नया कोर्स, नया यूट्यूब चैनल, नया ऐप ढूंढ रहा है, तो टिना दाबी की रणनीति एक शांत चेतावनी है: गुणवत्ता, मात्रा से ज्यादा मायने रखती है। उन्होंने किसी भी चीज़ को जल्दी नहीं किया। उन्होंने बस एक चीज़ को गहराई से समझा — और उसे दोहराया।
उनकी सफलता का सबसे बड़ा संदेश: “आपको बहुत कुछ पढ़ने की जरूरत नहीं। आपको बस उसी को बार-बार देखने की जरूरत है — जो आपने चुना है।”
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
UPSC प्रीलिम्स के लिए टिना दाबी की सबसे महत्वपूर्ण रणनीति क्या है?
टिना दाबी के अनुसार, प्रीलिम्स के लिए सबसे महत्वपूर्ण रणनीति है — पिछले 10 वर्षों के प्रश्नपत्रों को कम से कम 3 बार हल करना और हर अध्याय के बाद 10 दिन के अंदर उसकी समीक्षा करना। उन्होंने यह भी कहा कि एक हफ्ते में एक पूरा दिन सिर्फ रिवीजन के लिए रखना चाहिए। इससे याददाश्त मजबूत होती है, न कि नए टॉपिक्स का अधिक ज्ञान।
मेन्स के लिए उत्तर लिखने की आदत कैसे बनाएं?
टिना दाबी ने सुझाव दिया कि रोज़ कम से कम दो उत्तर लिखें — चाहे वो एक लाइन के हों। इससे लिखने की गति, भाषा और संरचना में सुधार होता है। उन्होंने प्रीलिम्स के बाद से हर हफ्ते एक निबंध लिखने का नियम बनाया। इससे विषयों को गहराई से समझने में मदद मिलती है और निबंध लिखने का आत्मविश्वास बढ़ता है।
CSAT की तैयारी के लिए कौन से स्रोत टिना दाबी ने इस्तेमाल किए?
टिना दाबी ने CSAT के लिए आरिहंत और TMH की किताबों का इस्तेमाल किया। उन्होंने रोज़ाना कंप्रिहेंशन प्रैक्टिस की, प्रतिशत, औसत और अनुपात के लिए शॉर्टकट्स सीखे, और लॉजिकल रीजनिंग पर फोकस किया। उन्होंने कुल 50 से अधिक मॉक टेस्ट्स हल किए, जो अधिकांश टॉपर्स के लिए सामान्य है।
राजनीति विज्ञान वैकल्पिक के लिए टिना दाबी ने क्या इस्तेमाल किया?
टिना दाबी ने राजनीति विज्ञान के लिए अपने प्रोफेसर के नोट्स (मैम के नोट्स) को मुख्य स्रोत बनाया। उन्होंने इन नोट्स को 4-5 बार याद किया और किताबें केवल तभी खोलीं जब कोई बात स्पष्ट न हो। इस तरह उन्होंने ज्ञान को गहरा किया, न कि फैलाया — जिससे रिवीजन आसान हुआ और याद रखने में आसानी हुई।
इंटरव्यू में टिना दाबी ने क्या गलतियाँ नहीं कीं?
टिना दाबी ने डीएएफ (Detailed Application Form) को बहुत ध्यान से भरा — हर जवाब जिसे उन्होंने लिखा, उसके लिए तैयारी की। उन्होंने इंटरव्यू में वही बातें नहीं बोलीं जिन्हें वे पूरी तरह नहीं जानती थीं। उनका दृष्टिकोण था: “अगर आप नहीं जानते, तो बोलना बंद कर दो।” इसी सादगी ने उन्हें इंटरव्यू में शीर्ष स्थान दिलाया।
क्या आज के उम्मीदवारों के लिए टिना दाबी की रणनीति अभी भी प्रासंगिक है?
हाँ, बिल्कुल। आज के समय में जब लोग नए कोर्सेस और ऐप्स की ओर भाग रहे हैं, तो टिना की रणनीति एक शांत सच है: गुणवत्ता, मात्रा से ज्यादा मायने रखती है। उन्होंने कम सामग्री, अधिक दोहराव, नियमित समीक्षा और अनुशासित अभ्यास के साथ एयर-1 हासिल किया — ये आज भी काम करता है।