सेट – बॉलीवुड के पर्दे के पीछे की दिलचस्प दुनिया
जब हम फिल्म देखते हैं तो स्क्रीन पर जो लुक दिखता है, उसका बड़ा हिस्सा सेट पर बना होता है। सेट न सिर्फ़ कहानी को जीवंत बनाता है, बल्कि कलाकारों को उनके किरदार में डूबने में मदद करता है। इस टैग पेज पर हम सेट के बारे में आसान भाषा में बात करेंगे – कैसे बनते हैं, कौन‑से मशहूर सेट रहे, और कैसे आप भी सेट की दुनिया को समझ सकते हैं।
सेट क्या होता है और कैसे बनता है?
सेट मूलतः एक बड़े रख‑रखाव वाले स्थान या स्टूडियो की दीवारों, फर्नीचर और प्रॉप्स का संग्रह है। प्रोडक्शन टीम सबसे पहले स्क्रिप्ट पढ़ती है, फिर आर्ट डायरेक्टर और सेट डिज़ाइनर मिलकर इस सीन के लिए लाइफ़‑साइज़ मॉडल बनाते हैं। उनमें रंग, लाइटिंग, टेक्सचर और बैकग्राउंड का ध्यान रखा जाता है। फिर कारीगर लकड़ी, धातु या प्लास्टिक की मदद से वास्तविक आकार के सेट बनाते हैं।
अगर आप कोई हाई‑एंड फिल्म देख रहे हैं, तो अक्सर सेट को कैंटर या औद्योगिक हल में बनाते हैं ताकि जगह बहुत बड़ी रहे। छोटे बजट की फिल्में अक्सर लोकेशन या मौजूदा सेट को री‑पर्पस करके काम चलाते हैं। इसका मतलब है कि सेट को थोड़ा बदलकर नई कहानी में फिट किया जा सकता है, जैसे एक कार के शो रूम को क्लब में बदल देना।
बॉलीवुड के कुछ यादगार सेट
हर फिल्म को एक पहचान देता है उसका सेट। कुछ सेट तो इतनी प्रसिद्ध हो गईं कि उनके बिना फिल्म का नाम अधूरा लगता है। उदाहरण के तौर पर, 1992 की “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे” का स्विट्ज़रलैंड बगीचा, 2004 की “देवी” का मल्टी‑लेवल सेट, और 2015 की “बाजीराव मस्तानी” का राजपूत महल। ये सेट न सिर्फ़ दृश्य को खूबसूरत बनाते हैं, बल्कि कहानी में भावनाओं को भी घोले हुए होते हैं।
सितंबर 2024 में नई रिलीज़ हुई “सेट जंक्शन” फ़िल्म ने एक फुल‑साइज़ 80’s फेमिनिस्ट क्लब सेट बनाया, जहाँ हर कोने में रेट्रो लाइटिंग और विंटेज फर्नीचर थी। इस सेट की वजह से दर्शकों को 80's की यादें ताज़ा हुईं और फिल्म को सोशल मीडिया पर बहुत सराहा गया।
अगर आप सेट की दुनिया में रूचि रखते हैं, तो स्टूडियो टूर एक बेहतरीन तरीका है। मुंबई के कई बड़े स्टूडियो – फिल्म सिटी, लीला माली, और रेखा स्टूडियो – अक्सर पब्लिक को गाइडेड टूर देते हैं। ऐसे टूर में आप सेट बनाते समय इस्तेमाल होने वाले टूल, लाइटिंग, और साउंड रिकॉर्डिंग की भी जानकारी ले सकते हैं।
सेट करने वालों के लिए कुछ आसान टिप्स भी काम आते हैं। पहले तो स्क्रिप्ट का ब्रीफ़ पढ़ें, फिर एक स्केच बनाकर फ़्रेम‑बाय‑फ़्रेम प्लान तैयार करें। प्रॉप्स को व्यवस्थित रखना बहुत ज़रूरी है, ताकि शूट के दौरान देरी न हो। लाइटिंग को सेट के मूड के अनुसार एडजस्ट करें, क्योंकि सही लाइट से ही सेट पर डिप्थ और दूरी दिखती है।
आखिरकार, सेट सिर्फ़ बैकग्राउंड नहीं है, बल्कि कहानी का एक अहम हिस्सा है। जब आप अगली बार कोई फिल्म देखें, तो नज़र रखें कि किस तरह सेट ने किरदार की भावनाओं को बढ़ाया है। यही छोटे‑छोटे विवरण सेट को खास बनाते हैं और दर्शकों को एक अलग अनुभव देते हैं। बॉलीवुड जलवा इंडिय के सेट टैग में आप नई सेट ख़बरें, सेट डिज़ाइन के टिप्स और पर्दे के पीछे की गपशप रोज़ पा सकते हैं। पढ़ते रहें, सीखते रहें और सेट की दुनिया में खुद को डुबोते रहें।